
swayam sahayata samuh का उद्देश्य।
गाँव में कुल आबादी का 75% से भो अधिक आबादी का प्रमुख आधार खेती है। ऐसे ग्रामीणों की अनेक समस्याएं हैं। पहली यह कि खेती के अतिरिक्त अन्य आय का साधन इनके पास नहीं होते हैं। दूसरा यह कि खेती में 5 से 6 माह तक काम मिलता है, इसलिए बचे समय में ग्रामीणों को आय के लिए विशेष प्रयत्न करना पड़ता है और आवश्यकता पड़ने पर इन्हें अपनी जमीन व गहनों को गिरवी रखनी पड़ती है, और परिस्थिति से मजबूर होकर इसे छुड़ा भी नहीं पाते हैं। इसी बीच यदि अन्य समस्याएं (बीमारी, मृत्यु. पर्व, शादी) आ जायें तो बंधक रखने की सीमाएं बढ़ जाती हैं। बैंक शाखाओं की वृहद नेटवर्क होते हुए भी ग्रामीणों की पहुँच वहाँ तक नीं हैं। चूँकि निर्धनों की जरूरतें छोटे ऋणों से सम्बन्धित होती हो, साथ ही साथ उनकी आवश्यकताएँ उपयोग और उत्पादन दोनों उद्देश्यों से जुड़ी है, बैंक वाले इसे खतरा मानते हैं और उधार देने से हिचकते हैं।
इस संकट स उभरने के लिए एक अकेला व्यक्ति तो सम्भवतः कुछ नहीं कर सकता है। परन्तु कुछ लोग मिलकर अपनी छोटी आय से थोड़ी-थोड़ी बचत करते-करते एक पूजी जमा कर सकते है। इसी पूंजी से वे एक दूसरे की मदद करते हैं और इसका उपयोग करके धीरे-धीरे जमीन छुडाते हैं। स्पष्टतः इस प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है। परन्तु स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से कुछ हद तक अपनी समस्याओं का समाधान करते हैं।
स्व सहायता समूह क्या क्या काम करते हैं?
ग्रामीण या शहरी क्षेत्र में महिलाएं मिलकर स्वयं सहायता समूह का गठन कर सकती हैं। स्वयं सहायता समूह में समूह के नाम से बैंक खाता खोला जाता है। समूह मैं सप्ताहिक बैठक के जरिए बचत किए गए धन को समूह के नाम से खोले गए खाते में जमा किया जाता है जिस पर भारत सरकार निम्नलिखित सुविधाएं देती है। स्वयं सहायता समूह में सभी योजनाएं राष्ट्रीय आजीविका मिशन केेेेेेे तहत दी जाती हैswayam sahayata samuh में मिलने वाले कुछ लाभ इस प्रकार हैं।
- स्वयं सहायता समूह की महिलाएं लघु ,सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों की स्थापना के लिए बैंक से कम ब्याज दर पर ऋण ले सकती हैं। स्वयंं सहायता समूह केेे जरिए लिए गए ऋण पर भारत सरकार 2 से 4% तक का ब्याज लेती है।
- राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को अनेक योजनाओं के लिए पात्र बनाया जा रहा है।
- स्वयं सहायता समूह में महिलाओं को BC sakhi का पद दिया जा रहा है जिसमें महिलाएं अपने ग्रामीण क्षेत्र में बैंक का कार्य करेंगी।
- स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए उन्हें बेसिक शिक्षा विभाग की स्कूली ड्रेस बनाने का काम दिया गया है।
- स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए सरकारी राशन वितरण के लिए भी नियुक्त किया जा रहा है।
- स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आंगनबाड़ी योजना के तहत आंगनबाड़ी में आने वाले पोषाहार के वितरण का भी काम सौंपा गया है।
- स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को ग्रामीण क्षेत्र में बिजली बिल एकत्र करने का काम भी दिया गया है।
swayam sahayata samuh क्या है?।
भारत सरकार ने राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए स्वयं सहायता समूह के गठन योजना चलाई। सहायता समूह का गठन ग्रामीण क्षेत्र और शहरी क्षेत्र दोनों में होता है। ग्रामीण क्षेत्र में इसे स्वयं सहायता समूह कहा जाता है। जबकि शहरी क्षेत्र में से दीनदयाल उपाध्याय योजना के नाम से जाना जाता है। स्वयं सहायता समूह का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में गरीब परिवारों को गंभीर बीमारी एवं किसी भी आर्थिक संकट के समय धन ना मिलने पर किस प्रकार धन को जुटाना है सप्ताहिक बचत के जरिए समझाया जाता है। सप्ताहिक बचत स्वयं सहायता समूह की बैठक के दौरान की जाती है जिसे स्वयं सहायता समूहों के नाम से खोले गए बैंक खाते में जमा किया जाता है जिस पर भारत सरकार बचत खाते की तुलना में अधिक ब्याज देती है?